बुंदेलखंड उत्तर प्रदेश के दक्षिण और मध्य प्रदेश के पूर्वोत्तर में स्थित है। यह एक पहाड़ी इलाका है, जिसमें पूर्व स्वातंत्रय युग में अनेक छोटी-बड़ी रियासतें थीं। जिसके उत्तर में यमुना और दक्षिण में विन्ध्य पर्वत शृंखला, पूर्व में बेतवा और पश्चिम में टौंस अथवा तमसा नदी स्थित है।
बुंदेली इस क्षेत्र की मुख्य बोली है। भौगोलिक और सांस्कृतिक विविधताओं के बावजूद बुंदेलखंड में जो एकता और समरसता है, उसके कारण यह क्षेत्र अपने आप में सबसे अनूठा बन पड़ता है। बुंदेलखंड की अपनी अलग ऐतिहासिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विरासत है। बुंदेली माटी में जन्मी अनेक विभूतियों ने न केवल अपना बल्कि इस अंचल का नाम खूब रोशन किया और इतिहास में अमर हो गए। महान चन्देल शासक बिधाधर चन्देल, आल्हा-ऊदल, खेतसिंह खंगार, महाराजा छत्रसाल बुंदेला, राजा भोज, ईसुरी, कवि पद्माकर, झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई, डॉ॰ हरिसिंह गौर, दद्दा मैथिलीशरण गुप्त, मेजर ध्यान चन्द्र , गोस्वामी तुलसी दास, दद्दा माधव प्रसाद तिवारी महोबा आदि अनेक महान विभूतियाँ इसी क्षेत्र से संबद्ध हैं। बुंदेलखंड में तारण पंथ का जन्म स्थान है। बुन्देलखण्ड के खजुराहो, झांसी और सागर शहर विश्वप्रसिद्ध हैं।